व्रज -अधिक श्रावण शुक्ल अष्टमी
Wednesday, 26 July 2023
मुकुट-काछनी पर गाती के पटके का श्रृंगार
आज के मनोरथ-
राजभोग में इलायची की मंडली
शाम को माई फ़ुल को हिंडोरो बन्यों
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : मल्हार)
माईरी श्यामधन तन दामिनी दमकत पीताम्बर फर हरे l
मुक्ता माल बगजाल कही न परत छबी विशाल मानिनीकी अरहरे ll 1 ll
मोर मुकुट इन्द्र धनुषसो सुभग सोहत मोहत मानिनी धुति थर हरे l
‘कृष्णजीवन’ प्रभु पुरंदरकी शोभा निधान मुरलिकाकी घोर घरहरे ll 2 ll
साज – आज श्रीजी में चुंदड़ी की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज लाल एकदानी चुंदड़ी का सूथन, काछनी एवं गाती का पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र श्वेत जामदानी (डोरिया) के होते हैं.
श्रृंगार – वनमाला (चरणारविन्द तक) का हरे मीना के आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में मयुराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
कली, कस्तूरी आदि सभी माला धरायी जाती हैं.
श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
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