By Vaishnav, For Vaishnav

Sunday, 13 August 2023

व्रज -अधिक श्रावण कृष्ण त्रयोदशी

व्रज -अधिक श्रावण कृष्ण त्रयोदशी
Monday, 14 August 2023

दोहरा मल्लकाछ टिपारा का श्रृंगार

आज के मनोरथ-

प्रातः काँच का बंगला 
शाम को गजराज पर गिरधर धारी

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : मल्हार)

आज सखी देख कमलदल नैन l
शीश टिपारो जरद सुनेरी बाजत मधुरे बैन ll 1 ll
कतरा दोय मध्य चंद्रिका काछ सुनेरी रैन l
दादुर मोर पपैया बोले मोर मन भयो चैन ll 2 ll
नाचत मोर श्याम के आगे चलत चाल गज गैन l
श्रीविट्ठल गिरिधर पिय निरखत लज्जित भयो मैन ll 3 ll

साज – आज श्रीजी में श्री गिरिराज-धारण की लीला के सुन्दर चित्रांकन से सुशोभित पिछवाई धरायी जाती है. पिछवाई में श्री कृष्ण एवं बलदेव जी मल्लकाछ टिपारा के श्रृंगार में हैं एवं ग्वाल-बाल व गायें संग खड़ी हैं. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज एक आगे का पटका एवं मल्लकाछ पचरंगी लहरियाँ का तथा दूसरा कंदराजी का हरा एवं सफ़ेद लहरियाँ का पटका तथा मल्लकाछ धराया जाता है. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित हैं. ठाड़े वस्त्र स्याम रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – श्रीजी को श्री कंठ के शृंगार छेड़ान के धराए जाते हे बाक़ी श्रृंगार भारी धराया जाता है. 
सोना के सर्व आभरण धराये जाते हैं. 
श्रीमस्तक पर टिपारा का साज धराया जाता है जिसमें पचरंगी लहरियाँ के दुमाला के ऊपर सिरपैंच, मध्य में मोरशिखा, दोनों ओर दोहरे कतरा और बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. चोटीजी नहीं धरायी जाती.
कमल माला धरायी जाती है.
श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, झीने लहरिया के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक झीने लहरिया व एक सोने के) धराये जाते हैं.
पट लाल व गोटी चांदी की बाघ-बकरी की आती है.

No comments:

Post a Comment

व्रज – माघ शुक्ल तृतीया

व्रज – माघ शुक्ल तृतीया  Saturday, 01 February 2025 इस वर्ष माघ शुक्ल पंचमी के क्षय के कारण कल माघ शुक्ल चतुर्थी के दिन बसंत पंचमी का पर्व ह...