व्रज – भाद्रपद कृष्ण तृतीया
Saturday, 02 September 2023
चौफ़ुली चूंदड़ी का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव के क़तरा के शृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
आँगन नंदके दधि कादौ l
छिरकत गोपी ग्वाल परस्पर प्रगटे जगमे जादौ ll 1 ll
दूध लियो दधि लियो लियो घृत माखन मांट संयुत l
घर घर ते सब गावत आवत भयो महरि के पुत ll 2 ll
बाजत तूर करत कुलाहल वारि वारि दे दान l
जायो जसोदा पुत तिहारो यह घर सदा कल्यान ll 3 ll
छिरके लोग रंगीले दीसे हरदी पीत सुवास l
‘मेहा’ आनंद पुंज सुमंगल यह व्रज सदा हुलास ll 4 ll
साज - श्रीजी में आज चौफ़ुली चूंदड़ी की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया के ऊपर मेघश्याम मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
वस्त्र – श्रीजी में आज चौफ़ुली चूंदड़ी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.
श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्वआभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर चुंदड़ी की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
आज कमल माला धरायी जाती हैं.
पीले पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती है इसी प्रकार श्वेत पुष्पों की दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
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