By Vaishnav, For Vaishnav

Thursday, 12 October 2023

व्रज – आश्विन कृष्ण चतुर्दशी

व्रज – आश्विन कृष्ण चतुर्दशी 
Friday, 13 October 2023

ऋतु का छेला (अंतिम) पिछोड़ा का शृंगार

चौफ़ुली चूंदड़ी का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर गोल चंद्रिका के  श्रृंगार

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

कृपा अवलोकन दान देरी महादान वृखभान दुल्हारी । 
तृषित लोचन चकोर मेरे तू व बदन इन्दु किरण पान देरी ॥१॥
सबविध सुघर सुजान सुन्दर सुनहि बिनती कानदेरी ।
गोविन्द प्रभु पिय चरण परस कहे जाचक को तू मानदेरी ॥२॥

साज - श्रीजी में आज चौफ़ुली चूंदड़ी की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरण चौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी में आज लाल चौफ़ुली चूंदड़ी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.

श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्वआभरण धराये जाते हैं. 
श्रीमस्तक पर चुंदड़ी की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं. 
पीले पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती है इसी प्रकार श्वेत पुष्पों की दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी जाती हैं. 
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल एवं गोटी चाँदी की धराई जाती हैं.

No comments:

Post a Comment

व्रज - फाल्गुन शुक्ल दशमी

व्रज - फाल्गुन शुक्ल दशमी  Sunday, 09 March 2025 आवत लाल गुपाल लिये सूने,  मग मिली इक नार नवीनी। त्यौं 'रसखानि' लगाई हिय भट् , मौज क...