व्रज – मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी
Monday, 18 December 2023
पीले साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर दुरंगी गोल पाग पर क़तरा या चंद्रिका के शृंगार
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को पीले साटन का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर दुरंगी गोल पाग पर क़तरा या चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आसावरी)
चलरी सखी नंदगाम जाय बसिये ।खिरक खेलत व्रजचन्दसो हसिये ।।१।।
बसे पैठन सबे सुखमाई ।
ऐक कठिन दुःख दूर कन्हाई ।।२।।
माखनचोरे दूरदूर देखु ।
जीवन जन्म सुफल करी लेखु ।।३।।
जलचर लोचन छिन छिन प्यासा ।
कठिन प्रीति परमानंद दासा ।।४।।
साज – श्रीजी में आज पीले रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज पीले रंग के साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर दुरंगी (गुलाबी व फ़िरोज़ी) गोल पाग के ऊपर सिरपैंच,क़तरा या चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
लाल मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट पीला व गोटी मीना की आती है.
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