व्रज – पौष शुक्ल तृतीया
Sunday, 14 January 2024
केसरी साटन के चागदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका के शृंगार
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को केसरी साटन के चागदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आसावरी)
आज शृंगार निरख श्यामा को नीको बन्यो श्याम मन भावत ।
यह छबि तनहि लखायो चाहत कर गहि के मुखचंद्र दिखावत ।।१।।
मुख जोरें प्रतिबिम्ब विराजत निरख निरख मन में मुस्कावत ।
चतुर्भुज प्रभु गिरिधर श्री राधा अरस परस दोऊ रीझि रिझावत ।।२।।
साज – श्रीजी को आज केसरी साटन पर सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं.ठाड़े वस्त्र मेघस्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर हीरा के जड़ाऊ पगा पर सिरपैंच, पगा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.
श्वेत एवं पीले पुष्पों की गुलाबी थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में लाल मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट केसरी व गोटी मीना की आती है.
No comments:
Post a Comment