व्रज – पौष शुक्ल दशमी
Saturday, 20 January 2024
कोयली साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर स्वर्ण की गोल पाग और गोल चंद्रिका के शृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आशावरी)
व्रज के खरिक वन आछे बड्डे बगर l
नवतरुनि नवरुलित मंडित अगनित सुरभी हूँक डगर ll 1 ll
जहा तहां दधिमंथन घरमके प्रमुदित माखनचोर लंगर l
मागधसुत वदत बंदीजन जस राजत सुरपुर नगरी नगर ll 2 ll
दिन मंगल दीनि बंदनमाला भवन सुवासित धूप अगर l
कौन गिने ‘हरिदास’ कुंवर गुन मसि सागर अरु अवनी कगर ll 3 ll
साज – आज श्रीजी में कोयली रंग की शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को कोयली साटन का सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, घेरदार वागा एवं चोली धरायी जाती है. सुनहरी एवं रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर स्वर्ण की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की चार सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्तं में स्वर्ण के एक वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
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