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Saturday, 23 March 2024

व्रज - फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी

व्रज - फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी 
Sunday, 24 March 2024

होली का उत्सव

सामान्यतया होलिकोत्सव व होलिका प्रदीपन तिथी प्रधान होने से फ़ाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन और डोलोत्सव नक्षत्र प्रधान होने के कारण जिस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होवे उस दिन मनाया जाता है.
इस वर्ष तिथी वृद्धि के कारण होलिकोत्सव फ़ाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी (द्वितीय) रविवार, 24 मार्च 2024 के दिन व होलिका प्रदीपन (दहन) फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा सोमवार, 25 मार्च 2024 को सूर्योदय पूर्व होगा.
सूर्योदय समय के उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में डोलोत्सव सोमवार, 25 मार्च 2024 को ही होगा.

आज प्रभु को नियम से पाग-चन्द्रिका, सूथन व घेरदार वागा धराये जाते हैं

फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा से श्रीजी में डोलोत्सव की सामग्रियां सिद्ध होना प्रारंभ हो जाती है. इनमें से कुछ सामग्रियां फाल्गुन शुक्ल नवमी से प्रतिदिन गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को अरोगायी जाती हैं और डोलोत्सव के दिन भी प्रभु को अरोगायी जायेंगी. 
इस श्रृंखला में आज श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में मीठे कटपूवा अरोगाये जाते हैं. 
इसके अतिरिक्त आज उत्सव के कारण प्रभु को दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी का भोग भी अरोगाया जाता है. 

राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता और सखड़ी में मीठी सेव व केशरयुक्त पेठा अरोगाये जाते हैं.

राजभोग खेल में पिछवाई को गुलाल से पूरा रंगा जाता है और उस पर अबीर से चिड़िया मांडी जाती है. चंदवा पर चंदन छांटा जाता है.

श्रीजी की दाढ़ी पर तीन बिंदी लगायी जाती है. प्रभु के सम्मुख चार पान के बीड़ा सिकोरी (स्वर्ण के जालीदार पात्र) में रखे जाते हैं.

आज गुलाल, अबीर का खेल अन्य दिनों की तुलना में अत्यन्त भारी होता है. वैष्णवजनों पर भी गुलाल पोटली भर कर उड़ाई जाती है.

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : सारंग)

डोल झूलत है प्यारो लाल बिहारी पहोपवृष्टि होती l
सुरपुर गंधर्व तिनकी नारी देखके वारत है लर मोती ll 1 ll
घेरा करत परस्पर सबमिल नहीं देखीयत युवती ऐसी जोती l
‘हरिदास’ के स्वामी श्यामा कुंजबिहारी सादाचूरी खुभी पोती ll 2 ll

साज - आज श्रीजी में राजभोग में सफ़ेद मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल व अबीर से भारी खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है. गुलाल खेल इतना अधिक होता है कि पिछवाई और साज का मूल रंग दिखायी ही नहीं पड़ता.  

वस्त्र – आज श्रीजी को सफ़ेद लट्ठा का सूथन, चोली तथा घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मोठड़ा का धराया जाता है जिसके दोनों छोर आगे की ओर रहते हैं. 
सभी वस्त्रों पर गुलाल अबीर, एवं चोवा आदि से भारी खेल किया जाता है. ठाडे वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं जिनपर गुलाल, अबीर आदि से खेल किया जाता है. 

श्रृंगार – आज प्रभु को मध्य का (छेड़ान से दो आंगुल नीचे तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. लाल, हरे, सफ़ेद व मेघश्याम मीना एवं जड़ाव स्वर्ण के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर सफ़ेद छज्जेदार श्याम झाईं वाली पाग के ऊपर हरा पट्टीदार सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं. 
श्रीकंठ में सात पदक, नौ माला धरायी जाती है. दो माला अक्काजी की धरायी जाती है. गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्वर्ण के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (स्वर्ण के बटदार व एक नाहरमुखी) धराये जाते हैं. पीठिका के ऊपर भी गुलाब के पुष्पों की एक मोटी मालाजी धरायी जाती है. 
पट चीड़ का व गोटी चांदी की आती है. आरसी दोनों समय बड़ी डांडी की आती है.
भारी खेल के कारण सर्व श्रृंगार रंगों से सरोबार हो जाते हैं और प्रभु की छटा अद्भुत प्रतीत होती है. 

संध्या-आरती दर्शन उपरांत श्रीकंठ व श्रीमस्तक के आभरण बड़े किये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा सुनहरी धराये जाते हैं. गठेली की हमेल धरायी जाती है.

श्रीजी की एक अद्भुत परंपरा

....श्रीजी में होली के त्यौहार के दिन शयन के दर्शन में परम्परागत रूप से परमपूज्य श्रीतिलकायत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की दाढ़ी रंगेंगे अर्थात प्रेम से प्रभु की दाढ़ी पर गुलाल लगाकर डोलोत्सव की परंपरागत शुरुआत करेंगे.

आज के दिन शयन में भी गुलाल खेल होता है और खूब गुलाल उड़ायी जाती है. आज शयन दर्शन में प्रभु को एक वेत्र श्रीहस्त में धरायी जाती है जिससे प्रभु व्रजभक्तों को घेर सके.

आज होली का त्यौहार है परन्तु शुभ मुहुर्तानुसार होलिका दहन कल अर्थात सोमवार, 25 मार्च 2024 प्रातःकाल 6.36  बजे के पूर्व होगा. 
कल प्रातः श्रीजी के मुख्य पंड्याजी, खर्च-भंडारी, घी-घरिया, मशाल-वाला, श्रीनाथ गार्ड्स, श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी के किर्तनिया आदि कीर्तन गाते हुए सूर्यास्त के समय श्रीजी मंदिर से होली-मगरा जाकर मंत्रोच्चार और कीर्तन की मधुर ध्वनि के बीच पूजन कर व भोग धरकर प्रदीपन करेंगे. होलिका प्रदीपन के पश्चात उपस्थित श्रीनाथ गार्ड होली-मगरा से हवा में गोली चलाकर सलामी देंगे. 

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