व्रज - ज्येष्ठ कृष्ण नवमी
Saturday, 01 June 2024
यमुना दशमी
विशेष - आज यमुना दशमी है. यमुनाजी के भाव का उत्सव होने के कारण आज आरती दो समय की थाली में की जाती है.
वस्त्रों में प्रभु को नियम से श्वेत मलमल का आड़बंद और श्रीमस्तक पर श्वेत मलमल का श्याम झाईं वाला फेंटा धराये जाते हैं. आज प्रभु को जाली वाला तानिया धराया जाता है व पिछवाई दूधिया घांस-फूस की आती है.
श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में सतुवा के लड्डू अरोगाये जाते हैं.
राजभोग की सखड़ी में खंडरा प्रकार अरोगाये जाते हैं.
खंडरा प्रकार प्रसिद्द गुजराती व्यंजन खांडवी का ही रूप है. इसे सिद्ध करने की प्रक्रिया व बहुत हद तक उससे प्रेरित है, केवल खंडरा सिद्ध कर उन्हें घी में तला जाता है फिर अलग से घी में हींग-जीरा का छौंक लगाकर खांड का रस पधराया जाता है और तले खंडरा उसमें पधराकर थोडा नमक डाला जाता है. प्रभु सेवा में इस सामग्री को खंडरा की कढ़ी कहा जाता है और यह सामग्री वर्ष में कई बार बड़े उत्सवों पर व विशेषकर अन्नकूट पर अरोगायी जाती है.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
पनिया न जेहोरी आली नंदनंदन मेरी मटुकी झटकिके पटकी l
ठीक दुपहरीमें अटकी कुंजनमें कोऊ न जाने मेरे घटकी ll 1 ll
कहारी करो कछु बस नहि मेरो नागर नटसों अटकी l
‘नंददास’ प्रभुकी छबि निरखत सुधि न रही पनघटकी ll 2 ll
साज – आज श्रीजी में दूधिया रंग की घास फूस की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को जालीदार तनिया एवं श्वेत मलमल का आड़बंद धराया जाता है.
श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
सर्व आभरण मोती के धराये जाते हैं. पौंची आदि लड़ की धरायी जाती है.
श्रीमस्तक पर श्वेत मलमल की श्याम झाईं के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख के दोहरा कतरा (खंडेला) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं. श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं वहीँ श्वेत पुष्पों की दो मालाएँ हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, गंगा-जमुनी (सोने-चांदी) के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.