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Thursday, 2 May 2024

व्रज - वैशाख कृष्ण दशमी

व्रज - वैशाख कृष्ण दशमी
Friday, 03 May 2024

नित्यलीलास्थ १००८ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज कृत पांच स्वरूपोत्सव

पांच स्वरूपोत्सव के दिन विराजित सभी स्वरूपों ने मोती का मुकुट, लाल रंग की काछनी के वस्त्र एवं वनमाला का श्रृंगार धराया था अतः श्रीजी को आज नियम का मुकुट काछनी का श्रृंगार धराया जाता है.
 
उत्सव के कारण गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में रस-बूंदी (आमरस व मेवा मिश्रित बूंदी) के लड्डू अरोगाये जाते हैं. 
इसके अतिरिक्त प्रभु को दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी का भोग भी अरोगाया जाता है. 

राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता अरोगाया जाता है वहीँ सखड़ी में आमरस-भात अरोगाये जाते हैं. 

कल वैशाख कृष्ण एकादशी को श्रीमद वल्लभाचार्यजी का उत्सव और वरूथिनी एकादशी का व्रत हैं. 

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : सारंग)

ऐसी बंसी बाजी बन घनमें व्यापी रही घ्वनि महामुनिनकी समाधि लागी l
भयो ब्रह्मनाद ऊठत आह्लाद जहाँ तहाँ व्रज घोष रत्न वृंद भये सबत्यागी ll 1 ll
रास आदि अनेक लीला रसभाव पूरित मूरति मुखारविंद छबि धरे विरह अनंग जागी l
तब वेणुनाद द्वार अब श्रीलक्ष्मणभट भूपकुमार ‘पद्मनाभ’ दैवोद्धार अर्थ त्यागी ll 2 ll 

साज – आज श्रीजी में गायों, पांच-स्वरूपोत्सव में विराजित प्रभु स्वरूपों एवं गौस्वामी बालकों के चित्रांकन की सुन्दर प्राचीन पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल का सूथन, काछनी एवं रास-पटका धराये जाते हैं. चोली श्याम सुतरु धरायी जाती है. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र श्वेत भातवार मलमल के धराये जाते हैं.

श्रृंगार - श्रीजी को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. मिलवा – हीरा, मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं. 
श्रीमस्तक पर जड़ाव स्वर्ण का झीने मोतियों का मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
 श्रीकर्ण में हीरा के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं. बायीं ओर उत्सव की हीरा की शिखा (चोटी) धरायी जाती है.
श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व नील-कमल की माला धरायी जाती है. 
श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की विविध पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर वनमाला धरायी जाती है.
 श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल, गोटी नाचते मोर की व आरसी चार झाड़ की आती है.

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