व्रज - आषाढ़ कृष्ण दशमी
Monday, 01 July 2024
चंदनी मलमल पर लाल छापा की परधनी एवं श्रीमस्तक पर चिनमा (तह वाला) पगा पर तुर्रा के शृंगार, ऊष्णकाल का पंचम अभ्यंग
विशेष - आज श्रीजी में ऊष्णकाल का पंचम अभ्यंग होगा. ऊष्णकाल के ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में श्रीजी में नियम के पाँच अभ्यंग स्नान और तीन शीतल जल स्नान होते हैं. यह आठों स्नान ऊष्ण से श्रमित प्रभु के सुखार्थ होते हैं.
अभ्यंग स्नान प्रातः मंगला उपरांत और शीतल जल स्नान संध्या-आरती के उपरांत होते हैं.
अभ्यंग स्नान में प्रभु को चंदन, आवंला एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है जबकि शीतल स्नान में प्रभु को बरास और गुलाब जल मिश्रित सुगन्धित शीतल जल से स्नान कराया जाता है.
जिस दिन अभ्यंग हो उस दिन अमुमन चितराम (चित्रांकन) की कमल के फूल की या निकुंज की पिछवाई धराई जाती है एवं गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को सतुवा के लड्डू अरोगाये जाते हैं.
जिस दिन अभ्यंग हो उस दिन शयन समय श्री नवनीतप्रियाजी से सखड़ी सामग्री पतलानेग (मीठा-रोटी, दहीभात, घुला हुआ सतुवा इत्यादि )श्रीजी में पधारती है.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
सोहत लाल के परदनी अति झीनी।।
तापर एक अधिक छबि उपजत जलसुत पांति बनी कटी छीनी।।1।।
उज्जवल पाग श्याम शिर शोभित अलकावली मधुप मधुपीनी।।
‘कुंभनदास' प्रभु गोवरधनधर चपल नयन युवतीन बस कीनी।।2।।
साज - आज श्रीजी में सफ़ेद रंग के मलमल पर कमल के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को चंदनी मलमल पर लाल छापा की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित परधनी धरायी जाती है.
श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
मोती के आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर चंदनी रंग की चिनमा (तह वाला) पगा के ऊपर सिरपैंच, तुर्रा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं वहीँ एक श्वेत एवं एक कमल के पुष्पों की माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, झीने लहरियाँ के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
No comments:
Post a Comment