व्रज - अश्विन कृष्ण द्वितीया (प्रतिपदा क्षय)
Thursday, 19 September 2024
लाल पीले लहरियाँ का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर क़तरा के श्रृंगार
राजभोग दर्शन -
कीर्तन – (राग : सारंग)
ढाडोई यमुनाघाट देखोई ।
कहा भयो घर गोरस बाढयो और गोधन के घाट ।।१।।
जातपांत कुलको न बड़ो रे चले जाहु किन वाट ।
परमानंद प्रभु रूप ठगोरी लागत न पलक कपाट ।।२।।
साज - श्रीजी में आज लाल पीले लहरियाँ की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया सफेद एवं चरणचौकी पर सफ़ेद रंग की बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी में आज लाल पीले लहरियाँ का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर गोल पाग धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र फ़िरोज़ी रंग के होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज हल्का का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ी मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल पीले लहरियाँ की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, क़तरा तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की विविध रंगों की थागवाली चार मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, फ़िरोज़ा के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
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