व्रज – पौष कृष्ण षष्ठी
Saturday, 21 December 2024
गुलाबी साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
श्रीविट्ठलेश चरण कमल पावन त्रैलोक करण दरस परस सुंदर वर वारवार वंदे ।
समरथ गिरिराज धरण लीला प्रकट करण संतन हित मानुषतनु वृंदावनचंदे ।।१।।
चरणोदक लेत प्रेत ततक्षण ते मुक्त भये करुणामय नाथ सदा आनंद निधिकंदे ।
वारनें भगवानदास विहरत सदा रसिकराय जयजय यश बोलबोल गावत श्रुति छंदे ।।२।।
साज – श्रीजी में आज गुलाबी रंग की साटन (Satin) की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी साटन पर रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
सफ़ेद पुष्पों की चार सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट गुलाबी व गोटी चाँदी की आती है.
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