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Friday, 28 March 2025

व्रज - चैत्र कृष्ण अमावस्या

व्रज - चैत्र कृष्ण अमावस्या 
Saturday, 29 March 2025

स्याम ख़िनख़ाब के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर सीधी चंद्रिका के शृंगार

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग :सारंग)

मेरी अखियन के भूषण गिरिधारी ।
बलि बलि जाऊ छबीली छबि पर अति आनंद सुखकारी ।।१।।
परम उदार चतुर चिंतामनिवदरस दरस दुं
दु़:खहारी ।
अतुल प्रताप तनक तुलसी दल मानत सेवा भारी ।।२।।
छीतस्वामी गिरिधरन विसद यश गावत गोकुलनारी ।
कहा वरनौ गुन गाथ नाथके श्रीविट्ठल ह्रदय विहारी ।।३।।

साज – श्रीजी में आज स्याम ख़िनख़ाब की हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज स्याम ख़िनख़ाब की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान के (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
 श्रीमस्तक पर स्याम रंग की छज्जेदार पाग पर सीधी चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. 
श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं. 
गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
 श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, चाँदी के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट स्याम व गोटी चाँदी के आते है.

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