By Vaishnav, For Vaishnav

Wednesday, 5 August 2020

हिंडोरे

 हिंडोरे माई झुलि उतरे नंदलाल | रस बस भई ब्रजलाल || :- श्री कृष्ण और राधा की शोभा को रचने के बाद ब्रह्मा की सारी निपुणता बांझ हो गई | अर्थात् उसके बाद वे किसी सौन्दर्य की रचना में असमर्थ हो गए | कब घटा आई और सबों के वस्त्राभूषण को भिगोने लगी, यह किसी को पता न चला | हिंडोला में भांति भांति की लीला करते रहने की चाहना गोपीजनों के ह्रदय में सदा वास करती है..... यह गुप्त लीला को "पुष्टिकला" कहना ही उचित है |

 

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