आज के हिंडोलना के दर्शन
काँच का हिंडोला
संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी काँच के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.
कीर्तन हिंडोला– (राग-अडाना)
सुधर रावरेकी गोपकुमारी गोकुल की राखी बांधे हरी राधा
हिंडोरे झुलनि नंद सदन आई ।
प्रफुल्लित मुख शोभित अलक चपल नैना पट भूषण
जगमग तन चटक मटक जसुमति मन भाई ।।१।।
कोऊ मृदंग बजावे गावे बीन सरस सुर मिलावे पिय रिझावे
बजावे मोरनि कुक मचाई ।
व्रजाधीश केलिकरत फूले बन हरित भूमि बड़भागिन पून्यो यह
सावन सुखदाईं ।।२।।
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