By Vaishnav, For Vaishnav

Sunday, 9 August 2020

साचा रसिधिकारी ।

 

साचा रसिधिकारी ।
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एक वैष्णव ने भगवदीय नो संग थयो । ते वैष्णवे भगवदीय ने पुछ्यु , के मारे श्री वल्लभरस ना पान नो अधिकारी बनवु छे । तो मारे शुं करवु जोइए ?

भगवदीये कह्यु के ते श्री वल्लभ नाम नु स्मरण एक वर्ष सुधी सतत निष्ठा सहित करी ने पछी मने मळजो ।
एक वर्ष पछी पेला वैष्णव भगवदीय ने मळवा आवी रह्या हता , त्यारे भगवदीये पोताना एक निज वैष्णव ने कह्यु के पेला वैष्णव आवे छे , तेने थोड़ा अपमानित करो । निज वैष्णवे एम कर्यु तो पेला स्मरण वाळा वैष्णव एकदम गुस्से थइ मारवा दोड्या । पछी भगवदीय पासे आव्या त्यारे भगवदीये कह्यु के तमारे हजु एक वर्ष स्मरण करवु पडशे । त्यारे ते वैष्णव कचवाता मने पाछा एक वर्ष स्मरण करीने पाछा आवी रह्या हता त्यारे फरी पाछु भगवदीये निज वैष्णव ने कह्यु के पेला वैष्णव आवे छे तेने खुब गाळो आपजो । निज वैष्णवे गाळो आपता स्मरण वाळा वैष्णव थोड़ा गुस्से थया । पछी भगवदीय पासे आव्या ।त्यारे भगवदीये कह्यु के हजु तमारे एक बार फरी एक वर्ष स्मरण करवु पडे एम छे । स्मरण वाळा वैष्णव जय श्रीकृष्ण कही ने फरी एक वर्ष स्मरण करीने पाछा भगवदीय पासे आवी रह्या हता । त्यारे भगवदीये निज वैष्णव ने कह्यु के पेला वैष्णव आवे छे तो तेने गाळो आपी ने गंदा गंदा आक्षेप करजो ।निज वैष्णवे एम कर्यु । त्यारे स्मरण वाळा वैष्णव एकदम गदगद थइ हाथ जोडीने कह्यु के आपे त्रण त्रण वर्ष थी मारा माटे श्रम लीधो छे । हुं आपनो आभारी छु ।आम कही ते भगवदीय पासे आव्या । त्यारे भगवदीये उभा थइ ने वैष्णव ने कंठे लगाव्या अने प्रेम सहित पुष्टि मार्गी गोपीप्रेम नी रीत समजावी ने श्री वल्लभ प्रभु नु स्वरूप समजाव्यु ।त्यारे ते वैष्णव श्री वल्लभरस ना प्यासी प्रेमी बनी श्री वल्लभरस मा छकी रही ने धन्य बनी रह्या ।
(भगवदीय ना संग विना बधु ज काचु छे )

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