व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल त्रयोदशी
Tuesday, 29 September 2020
आज के मनोरथ-
प्रातः स्याम घटा
सायं स्याम बंगला को मनोरथ
शयाम ही सुन्दर श्याम ही अलकें
श्याम बनी बेनी अति भारी।
श्याम ही भ्रोंह सोहनी बांकी
श्याम ही नेनन अंजन सारी।।
शयाम कपोलन शयाम ड़िठौना
शयाम ओढे कामरिया कारि।
शयाम दृगन के श्याम हैं तारे
शयाम सुन्दर गोविन्द गिरिधारी।।
विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को स्याम घटावत शृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आसावरी)
माई मेरो श्याम लग्यो संग डोले l
जहीं जहीं जाऊं तहीं सुनी सजनी बिनाहि बुलाये बोले ll 1 ll
कहा करो ये लोभी नैना बस कीने बिन मोले l
‘हित हरिवंश’ जानि हितकी गति हसि घुंघटपट खोले ll 2 ll
स्यामा स्याम आवत कुंज महल ते रंगमगे-रंगमगे ।
मरगजी वनमाल सिथिल कटि किंकिन, अरुन नैन मानौं चारौ जाम जगे ।।१।।
सब सखी सुघराई गावत बीन बजावत, सब सुख मिली संगीत पगे ।
श्रीहरिदास के स्वामी स्याम कुंजबिहारी की कटाक्ष सों कोटि काम दगे ।।२।।
साज – श्रीजी में आज श्याम रंग की मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर श्याम बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को श्याम मलमल का पिछोड़ा ( चित्र में सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं मोजाजी) धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र भी श्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. सर्व आभरण हीरा के धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर श्याम रंग की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, रुपहरी दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल धराये जाते हैं. एक हार पंचलड़ा धराया जाता है.
हरे रंग के पुष्पों की सुन्दर थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. हीरा की हमेल भी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में चांदी के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
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