व्रज – आश्विन कृष्ण चतुर्दशी
Wednesday, 16 September 2020
विशेष – आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.
ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, मौसम की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.
मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को लाल चोफुली चूंदड़ी का पिछोड़ा गोल पाग एवं चंद्रिका धराये जाएगे.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
यहां अब काहेको दान देख्यो न सुन्यो कहुं कान ।
एैसे ओट पाऊठि आओ मोहन जु दूध दहीं लीयो चाहे मेरे जान ।।१।।
खिरक दुहाय गोरस लिये जात अपने भवन तापर एैसी ठानी आनकी आन ।
गोविंद प्रभुको कहेत व्रजसुंदरी चलो रानी जसोदा आगे नातर सुधे देहो जान ।।२।।
साज – श्रीजी में आज लाल चोफुली चूंदड़ी की सुनहरी ज़री की तुईलैस की पठानी किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद मखमल मढ़ी हुई होती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज लाल चोफुली चूंदड़ी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.
श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्वआभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी लूम तथा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में हीरा के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
सफेद एवं पीले पुष्पों की सुन्दर दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वैत्रजी धराये जाते हैं.
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