व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल सप्तमी
Wednesday, 23 September 2020
आज के मनोरथ-
राजभोग में चाँदी का बंगला
शाम को ‘झूलत सुरंग हिंडोरे राधा मोहन को मनोरथ’ चाँदी का हिन्दोलना
विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को धोती, पटका और दुमाला पर सेहरा का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
दिन दुल्है मेरो कुंवर कन्हैया l
नित उठ सखा सिंगार बनावत नितही आरती उतारत मैया ll 1 ll
नित उठ आँगन चंदन लिपावे नित ही मोतिन चौक पुरैया l
नित ही मंगल कलश धरावे नित ही बंधनवार बंधैया ll 2 ll
नित उठ व्याह गीत मंगलध्वनि नित सुरनरमुनि वेद पढ़ैया l
नित नित होत आनंद वारनिधि नित ही ‘गदाधर’ लेत बलैया ll 3 ll
साज – श्रीजी में आज संकेत वन में विवाह लीला के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र - श्रीजी को आज पतंगी मलमल के धोती एवं राजशाही पटका धराये जाते हैं.
ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – श्रीजी को प्रभु को आज मध्य (घुटने तक) का श्रृंगार धराया जाता है. सोना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर पतंगी मलमल के दुमाला के ऊपर हीरा का सेहरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में हीरा के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
दायीं ओर सेहरे की मीना की चोटी धरायी जाती है.
श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है.
श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में सोना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
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