नाथद्वारा में दरवाजे के ताले को नेत्र से वैष्णवों द्वारा क्यों लगाया जाता हे ?
वचनामृत के अनुसार ताला मंगल के बाद श्रीजी के दर्शन नहीं होते हे । ताला श्री महाप्रभुजी का हस्त का स्वरुप हे। और स्वमिनिजी की मुष्टिका का स्वरुप हे । वैष्णव द्वारा स्वमिनिजिको विनंती की जाती हे के आपकी कृपा से बार बार ठाकोरार्जी के दर्शन हो ऐसी भावना हे
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