व्रज - वैशाख शुक्ल त्रयोदशी (द्वादशी क्षय)
Monday, 24 May 2021
आगम का श्रृंगार
विशेष –द्वादशी क्षय से आज त्रयोदशी हैं एवं कल चतुर्दशी भगवान नृसिंहजी की जयंती है अतः आज उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
सामान्य तौर पर प्रत्येक बड़े उत्सव के एक दिन पूर्व लाल वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है.
यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है.
इस श्रृंगार के लाल वस्त्र विविध ऋतुओं के उत्सवों के अनुरूप होते हैं.
इसी श्रृंखला में आज प्रभु को गुलाबी रंग की धोती व राजशाही पटका धराया जायेंगा.
अभी ऊष्णकाल है और अभी लाल रंग निषिद्ध है अतः आज लाल के स्थान पर गुलाबी वस्त्र धराये जायेंगे. सामान्यतया इस श्रृंगार में वस्त्र और पिछवाई लाल और ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं परन्तु ऊष्णकाल में ठाड़े वस्त्र नहीं धराये जाते अतः आज प्रभु को गुलाबी वस्त्र धराये जायेंगे.
कल नृसिंह चतुर्दशी है. पुष्टिमार्ग में भगवान विष्णु के सभी दशावतारों में से चार (श्रीकृष्ण, श्रीराम, श्रीनृसिंह एवं श्रीवामन) को मान्यता दी है इस कारण इन चारों अवतारों के जन्म दिवस को जयंती के रूप में मनाया जाता है एवं इन चारों जयंतियों को उपवास किया जाता है.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग/बिलावल)
कमलमुख देखत कौन अघाय l
सुनरी सखी लोचन अलि मेरे मुदित रहे अरुझाय ll 1 ll
मुक्तामाल लाल ऊर ऊपर मानों फूली वनराय l
गोवर्धनधरके अंग अंग पर ‘कृष्णदास’ बलजाय ll 2 ll
साज – आज श्रीजी में गुलाबी रंग की मलमल की, रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज प्रभु को गुलाबी रंग की मलमल धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता हैं. दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य का (घुटने तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोर चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं एवं हमेल की भांति दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
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