व्रज - कार्तिक शुक्ल षष्ठी
Wednesday, 10 November 2021
केसरी ज़री के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग और गोल चंद्रिका के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को केसरी ज़री का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.
ये इन्द्रमान भंग के दिन है अतः कार्तिक शुक्ल तृतीया से अक्षय नवमी तक इन्द्रमान भंग के कीर्तन गाये जाते हैं.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : धनाश्री)
कान्हकुंवर के कर पल्लव पर मानो गोवर्धन नृत्य करे ।
ज्यों ज्यों तान उठत मुरली में त्यों त्यों लालन अधर धरे ।।१।।
मेघ मृदंगी मृदंग बजावत दामिनी दमक मानो दीप जरे ।
ग्वाल ताल दे नीके गावे गायन के संग स्वरजु भरे ।।२।।
देत असीस सकल गोपीजन बरषाको जल अमीत झरे ।
यह अद्भुत अवसर गिरिधरको नंददास के दुःख हरे ।।३।।
साज – श्रीजी में आज केसरी रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी रंग की ज़री पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. श्याम मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर केसरी ज़री की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच और क़तरा या गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं. श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, श्याम मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट केसरी व गोटी चाँदी की आती है.
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