व्रज - अश्विन कृष्ण द्वितीया
Sunday, 01 October 2023
छप्पनभोग मनोरथ (बड़ा मनोरथ)
आज श्रीजी में किन्हीं वैष्णव द्वारा आयोजित छप्पनभोग का मनोरथ होगा.
मणिकोठा, डोल-तिबारी, रतनचौक आदि में छप्पनभोग के भोग साजे जाते हैं अतः श्रीजी में मंगला के पश्चात सीधे राजभोग अथवा छप्पनभोग (भोग सरे पश्चात) के दर्शन ही खुलते हैं.
श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी व शाकघर में सिद्ध चार विविध प्रकार के फलों के मीठा अरोगाये जाते हैं.
राजभोग की अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता एवं सखड़ी में मीठी सेव, केसरयुक्त पेठा व पाँच-भात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात) अरोगाये जाते हैं.
छप्पनभोग दर्शन में प्रभु सम्मुख 25 बीड़ा सिकोरी (सोने का जालीदार पात्र) में रखे जाते है.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
मदन गोपाल गोवर्धन पूजत l
बाजत ताल मृदंग शंखध्वनि मधुर मधुर मुरली कल कूजत ll 1 ll
कुंकुम तिलक लिलाट दिये नव वसन साज आई गोपीजन l
आसपास सुन्दरी कनक तन मध्य गोपाल बने मरकत मन ll 2 ll
आनंद मगन ग्वाल सब डोलत ही ही घुमरि धौरी बुलावत l
राते पीरे बने टिपारे मोहन अपनी धेनु खिलावत ll 3 ll
छिरकत हरद दूध दधि अक्षत देत असीस सकल लागत पग l
‘कुंभनदास’ प्रभु गोवर्धनधर गोकुल करो पिय राज अखिल युग ll 4 ll
साज – आज श्रीजी में चितराम की गायों के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र - श्रीजी को आज केसरी मलमल का पिछोड़ा धराया है.
श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्वआभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर केसरी रंग की टिपारे की टोपी के ऊपर गुलाबी रंग के रूपहरी किनारी वाले गौकर्ण पर सुनहरी घेरा धराया है. श्रीकर्ण में मीना के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
श्रीकंठ में कली,कस्तूरी आदि की माला आती हैं.हीरा, पन्ना, माणक, मोती के हार व दुलडा धराया जाता हैं.सफेद एवं पीले पुष्पों के रंग-बिरंगी थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है. श्रीहस्त में कमलछड़ी, नवरत्न के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक सोना का) धराये जाते हैं.पट केसरी एवं गोटी बाघ बकरी की आती हैं.
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