व्रज - अश्विन कृष्ण तृतीया
Monday, 02 October 2023
लाल चोफुली चूंदड़ी के सुथन, फेटा और पटका के शृंगार
श्रीजी ने अपने सभी भक्तों को आश्रय दिया है, मान दिया है चाहे वो किसी भी धर्म से हो.
इसी भाव से आज ठाकुरजी अपनी अनन्य मुस्लिम भक्त ताज़बीबी की भावना से सूथन-पटका का श्रृंगार धराते हैं.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : तोडी)
देख गजबाज़ आज वृजराज बिराजत गोपनके शीरताज ।
देस देस ते खटदरसन आवत मनवा छीत कूल पावत
किरत अपरंपार ऊंचे चढ़े दान जहाज़ ।।१।।
सुरभि तिल पर्वत अर्ब खर्ब कंचन मनी दीने, सो सुत हित के काज ।
हरि नारायण श्यामदास के प्रभु को नाम कर्म करावन,
महेर मुदित मन बंधि है धर्म की पाज ।।२।।
साज – श्रीजी में आज लाल चोफुली चूंदड़ी की सुनहरी ज़री की तुईलैस की पठानी किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की गई है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद मखमल मढ़ी हुई है.
वस्त्र - श्रीजी को आज रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित लाल चोफुली चूंदड़ी के वस्त्र पर किनारी के धोरे वाला सूथन और पटका धराया है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये हैं.
श्रृंगार - प्रभु को आज छेड़ान (कमर तक) का हल्का श्रृंगार धराये है. सोने के सर्व आभरण धराये हैं.
श्रीमस्तक पर लाल चूंदड़ी का फेटा का साज धराया है जिसमें लाल चूंदड़ी के फेटा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया है.
श्रीकर्ण में लोलकबंदी (लड़ वाले कर्णफूल) धराये हैं.
श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी हैं.
श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, सोने के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
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