By Vaishnav, For Vaishnav

Wednesday, 15 January 2025

व्रज – माघ कृष्ण तृतीया

व्रज – माघ कृष्ण तृतीया 
Thursday, 16 January 2025

हरे साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर सोना की पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगार 

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : आसावरी)

जाको मन लाग्यो गोपाल सों ताहि ओर कैसें भावे हो ।
 लेकर मीन दूधमे राखो जल बिन सचु नहीं पावे हो ।।१।।
ज्यो सुरा रण घूमि चलत है पीर न काहू जनावे हो ।
ज्यो गूंगो गुर खाय रहत है सुख स्वाद नहि बतावे हो ।।२।।
जैसे सरिता मिली सिंधुमे ऊलट प्रवाह न आवे हो । 
तैसे सूर  कमलमुख निरखत चित्त ईत ऊत न डुलावे हो ।।३।।

साज – श्रीजी में आज हरे रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज हरे रंग के साटन पर  सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं  घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.सोना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
 श्रीमस्तक पर सोना की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच,बाक़ी गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. 
श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.
 लाल एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
 सोना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट हरा व गोटी सोना की चिड़िया की आती है.

संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.

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