By Vaishnav, For Vaishnav

Thursday, 16 January 2025

व्रज – माघ कृष्ण चतुर्थी

व्रज – माघ कृष्ण चतुर्थी 
Friday, 17 January 2025

केसरी साटन के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा के शृंगार

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : आसावरी)

जाको मन लाग्यो गोपाल सों ताहि ओर कैसें भावे हो ।
 लेकर मीन दूधमे राखो जल बिन सचु नहीं पावे हो ।।१।।
ज्यो सुरा रण घूमि चलत है पीर न काहू जनावे हो ।
ज्यो गूंगो गुर खाय रहत है सुख स्वाद नहि बतावे हो ।।२।।
जैसे सरिता मिली सिंधुमे ऊलट प्रवाह न आवे हो । 
तैसे सूर  कमलमुख निरखत चित्त ईत ऊत न डुलावे हो ।।३।।

साज – श्रीजी में आज केसरी रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं  चागदार  वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र स्याम रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फिरोज़ा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
 श्रीमस्तक पर केसरी छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच,जमाव का क़तरा तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. 
श्रीकर्ण में के दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
 श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
 श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट केसरी एवं गोटी मीना की आती है.

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